
किसी व्यवसाय की वित्तीय स्थिति को प्रकट करने के लिए Balance Sheet बनाया जाता है। यह किसी व्यापार की आर्थिक स्थिति का विवरण होता है। इसे चिटठा भी कहा जाता है। किसी निश्चित समय पर एक व्यापार या संगठन की संपत्ति, देनदारियों (Liabilities) और पूँजी (Share Capital) के विवरण को Balance sheet कहते है। किसी कंपनी की Growth को Balance sheet के जरिये आसानी से जांचा जा सकता है। यह किसी कंपनी या संगठन का Financial statement (वित्तीय विवरण) होता है। Profit and loss अकाउंट बनाने के बाद Balance sheet तैयार होता है। आमतौर पर यह वित्तीय वर्ष के अंत में बनाया जाता है। यदि आप एक निवेशक हैं और Share Market में निवेश करने जा रहे हैं, तो आप Stock Exchange में listed कंपनियों के Balance Sheet को देख सकते हैं। इस प्रकार आप इन कंपनियों की आर्थिक स्थिति के बारे मे जान सकते हैं। सभी चीजों को जाचने के बाद निवेश करने से आपको इसका लाभ मिलेगा और आप एक अच्छी और मजबूत कंपनी में निवेश कर पायेंगे।
Balance Sheet बनाने का नियम क्या है।
Balance Sheet में बायें पक्ष को Capital And Liabilities (पूंजी व दायित्व पक्ष) कहाँ जाता है, तथा दायें पक्ष को Assets And Properties (सम्पत्ति व जायदाद) कहाँ जाता हैं।
Capital And Liabilities Side में आने वाले मदों को निम्न पांच शीर्षकों के अंतर्गत दिखाया जाता है।
- Share Capital (अंश पूंजी)
इस शीर्षक के अंतर्गत निम्नलिखित तरह के पूंजी को दिखाया जाता है।
- Equity Share Capital (समता अंश पूंजी )
- Preference Share Capital (पूर्वाधिकार अंश पूंजी )
- Reserve And Sur-Plus Income (संचित एवं आधिक्य)
इस शीर्षक के अंतगर्त निम्नलिखित तरह के लाभों को लिखा जाता है।
- General Reserve (सामान्य संचित)
- Capital Reserve (पूंजी संचित)
- P/L (Cr.) (लाभ-हानि जमा)
- Security Premium (प्रतिमूर्ति प्रब्याज)
- Share Forfeiture (अंशों का हरण)
- Secured Loans (सुरक्षित ऋण)
इस शीर्षक के अंतर्गत निम्नलिखित तरह के दायित्वों को दिखाया जाता है।
- Debenture (ऋणपत्र)
- Bonds (बंधन)
- Bank Loan (अधिकोष ऋण)
- Mortgage Loan (बन्धक ऋण)
- Current Liabilities (चालु दायित्व)
इस शीर्षक के अंतर्गत निम्नलिखित अल्पकालीन दायित्वों को लिखा जाता है।
- Creditor (लेनदार)
- B/P (देय विपत्र )
- Bank Overdraft (बैंक अधिविकर्ष)
- Outstanding Expense (अदत्त व्यय)
- Advance Income (अग्रिम आय)
- Provisions (प्रावधान)
इस शीर्षक के अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधानों को लिखा जाता है।
- Provision For Bad Debts (अप्राप्य ऋण के लिए प्रावधान)
- Provision For Taxation (करो के लिए प्रावधान)
- Provision For Repairs (मरम्मती के लिए प्रावधान)
Assets And Properties Side में आने वाले मदों को निम्न तीन शीर्षकों के अंतर्गत दिखाया जाता है।
- Fixed Assets (स्थायी सम्पत्ति) – जिस सम्पत्ति में बराबर परिवर्तन नहीं होता है, उसे इस शीर्षक के अंतर्गत दिखाया जाता है। इसमें आने वाले मदों का नाम इस प्रकार है।
- Land And Building
- Plant And Machinery
- Furniture And Fixture
- Loose Tools
- Goodwill
- Patent Right
- Trade Marks
- Current Assets (चालू सम्पत्ति) – जिस संपत्ति में बराबर परिवर्तन होता रहता है, उसे इसमें दिखाया जाता है। इसके मदों का निम्नलिखित नाम है।
- Cash
- Bank
- Debtors
- B/R
- Investment
- Stock
- Prepaid Expense
- Accrued Income
- Miscellaneous Expenditure (विविध व्यय ) – इस शीर्षक के अंतगर्त अवास्तविक सम्पतियों को दिखाया जाता है। कुछ खर्च एवं हानियों को तत्काल सम्पत्ति के रूप में दिखाया जाता है परन्तु धीरे-धीरे इसे P/L Account में जाकर समाप्त कर दिया जाता है। निम्न मदों को इसमें दिखाया जाता है।
- Preliminary Expense (प्रारंभिक व्यय)
- Discount On Issue Of Shares (अंशो के निर्गमन पर कटौती)
- Discount On Issue Of Debentures (ऋणपत्रों के निर्गमन पर कटौती )
- Expense On Issue Of Shares (अंशो के निर्गमन पर व्यय)
- Expense On Issue Of Debentures (ऋणपत्रों के निर्गमन पर व्यय)
- P/L (Dr.)
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